Monika garg

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लेखनी कहानी -06-Sep-2022# क्या यही प्यार है # उपन्यास लेखन प्रतियोगिता# भाग(24))

गतांक से आगे:-


जोगिंदर ने मां को कह तो दिया कि वह रमनी का ब्याह रूकवा कर रहे गा ।पर कैसे वह यही सोचता रहा।फिर उसके दिमाग मे एक उपाय आया वह उस पर कार्रवाई करने की सोचने लगा। थोड़ी देर आराम करके वह अपनी मां को ये बोल गया कि कुछ हो जाए तो तुम सम्भाल लेना मां और किसी से मै नही डरता बस तुम पिताजी को सम्भाल लेना।यह कहकर वह घर से चला गया ।

थोड़ी देर मे ही वो हरिया और भोला के घरके आगे खड़ा था उस ने जो प्लान बनाया था उसमे इन दोनों की बहुत जरूरत थी ।जब वे दोनों बाहर निकल कर आये और जोगिंदर को खड़े देखा तो दौड़ कर लिपट गये" यार तू कब आया गांव ? सच मे तेरे जाने के बाद गांव की रौनक ही खत्म हो गयी है ।और हां सुन एक बात ,रमनी का ब्याह पक्का हो गया है ।दो दिन बाद लगन सगाई है लड़के वाले बड़े अमीर है बस लड़का थोड़ी बड़ी उम्र का है ।

 कल तो बेचारी अपने घर की देहली पर उदास बैठी थी लग रहा था काफी देर से रोकर आयी है ।"

हरिया के मुंह से ये सब सुनकर जोगिंदर बोला,"हां हां मुझे पता है मुझे उसकी चिठ्ठी मिल गयी थी इसलिए तो आया हूं। यारों तुम्हें तो पता है मै चाहे कहूं या ना कहूं पर मै रमनी को किसी ओर का होता नही देख सकता । मुझे पिताजी की इज्जत का डर है वरना आज ब्याह कर ले जाऊं अपनी रमनी को।"

हरिया भोला की तरफ आंख मटका कर बोला,"अपनी रमनी …..हूऊऊ कुछ सुना भोला ।अगर इतना प्यार करता है उससे कि उसे किसी ओर की होने नही देगा तो बोलता क्यों नहीं कि तू उसे दिलोजान से चाहता है।" 

जोगिंदर बोला,"बस यार ….अब बहुत हुआ अब रमनी को अपने दिल का हाल बता कर ही इस दिल को चैन पडेगा। जोगिंदर रुआंसा हो गया था ।हरिया और भोला ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा,"तू चिंता मत कर हम तेरे साथ है बता क्या करना है जो तू कहेगा वो करने के लिए दिलोजान लगा देंगे।"

तीनों ने आपस मे खुसर फुसर करके आगे का प्लान बनाया और वह रमनी के घर की ओर चल दिया।

थोड़ी देर मे वह रमनी के घर के आगे खड़ा आवाज दे रहा था,"चाची ओ चाची । कहां हो , क्या कर रही हो?"

उसकी आवाज जैसे ही रमनी के कानों मे पड़ी वह दौड़कर अपने घर की देहली पर आ गयी । जोगिंदर ने उसे जी भर कर देखा पगली की आंखें रो रोकर लाल हो गयी थी ।इतने मे रमनी की मां आ गयी और रमनी को डांटते हुए कहा,"क्या बिटिया ।सारा दिन जरा सी आहट होते ही दरवाजे की तरफ भागती है किसका इंतज़ार कर रही है बान बैठी कन्या ऐसे बार बार देहली पर नही आती।चल अंदर।" ये कहकर रमनी की मां ने उसे अंदर भेज दिया और स्वयं जोगिंदर को देखकर बोली,"आओ लला जी , ठीक तो हो ।शहर मे मन लग गया होगा ।और पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है ।सही समय पर आये हो अपनी बचपन की साथी का ब्याह देखकर ही जाना ।"

जोगिंदर अनजान बनते हुए बोला,"अच्छा इस पगली का ब्याह पक्का कर दिया । अच्छी बात है चाची एक चोरटी लड़की कम हो जाएगी गांव से हाहाहाहाहा।"

जोगिंदर की बात सुनकर रमनी की मां भी हंसे बगैर ना रह सकी और बोली,"ओर क्या लला जी ।आप के आम अमरूद के बागों की दुश्मन थी ।और हां ब्याह का सारा काम देखना है आप सब लोगों को अब मेरे कोई लड़का नहीं तो आप लोगों का ही सहारा है "

"क्यों नही चाची जरूर करूंगा ।मेरे बगैर तो ये ब्याह हो ही नहीं सकता ।"जोगिंदर मन ही मन हंसते हुए बोला।

रमनी की मां एकदम चौंकी,"मतलब?"

"मतलब ये कि अगर रमनी मेरे बचपन की दोस्त है तो मेरे बगैर ये ब्याह कैसे होगा?"

रमनी की मां हंसते हुए बोली,"हां हां  क्यों नहीं।"

जोगिंदर जोर से बोलते हुए ताकि अंदर बैठी रमनी को सुन जाए ,बोला," चाची कल सुबह मैं बागों मे रहूंगा अगर कोई काम हो तो हरिया को कहकर बुला लेना ।"

"अच्छा बेटा।"रमनी की मां उसे दरवाजे तक छोड़कर अंदर चली गयी।

अंदर कमरे मे बैठी रमनी ने ये सुन लिया था कि जोगिंदर कल अपने बागों मे रहे गा ।वह भी उससे मिलने के लिए बेचैन थी बस किसी तरह मौका ढूंढ रही थी जोगिंदर से मिलकर अपने दिल का हाल कहने का।

  जोगिंदर रमनी के घर से निकाल कर अपने घर की ओर जा रहा था कि उसे अपने चाचा सामने से अपने बेटे के साथ आते दिखाई दिए ।उसको देखकर दोनों धीरे से बात करने लगे  जिसके कुछ अंश जोगिंदर के कानों मे भी पड़े।जिसमे उसने उन्हें कहते सुना "ये यहां कैसे ? नरेंद्र ने अपना काम ठीक से नही किया लगता है ।"

जोगिंदर के माथे पर बल पड़ गये कि चाचा ने कौन सा ऐसा काम है जो मेरे लिए नरे को सौंपा था । लेकिन वह अब इस अवस्था मे नही था ये सब सोच सके ।उसे तो रमनी का ब्याह रोकने की लगी थी और अगर पासा सीधा पड़ गया तो साथ साथ एक काम और करना था।

यही सब सोचते सोचते वह घर पहुंच गया । पिताजी खेतों से आ गये थे । उन्हें मां से पता चल गया था कि जोगिंदर आया है ‌वह जब आंगन मे गया तो पिताजी ने कहा,"बेटा आज ही तेरा टेलीग्राम मिला ।बता तेरे से बाद तेरा टेलीग्राम मिला ।वैसे इतनी जल्दी मे कैसे आया?"

जोगिंदर झिझकते हुए बोला,"वो वो पिताजी चाची की चिठ्ठी मिली थी कह रही थी रमनी का ब्याह पक्का हो गया है अब सारे ब्याह की जिम्मेदारी तुम पर ही है । इसलिए मुझे जल्दी मे आना पड़ा।"


जोगिंदर को पता था कि इस बात से पिताजी गुस्सा नही होंगे क्योंकि गांव मे लड़कियां सब की सांझी होती है ।उन के ब्याह मे सारा गांव अपनी बेटी की शादी हो ऐसे काम करता है ब्याह मे ।फिर उसके पिता को तो ये पता भी था कि रमनी और जोगिंदर बचपन के दोस्त हैं।

रात का खाना खा कर जोगिंदर अपने कमरे मे आ गया ।सारे दिन का थका जोगिंदर जल्द ही सो गया 

  रात करीब एक बजे उसे ऐसे लगा जैसे कोई उसके पलंग के पास खड़ा है जोगिंदर ने नींद मे ही आवाज दी

"रमनी"


(क्रमशः)



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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

25-Sep-2022 03:54 PM

बहुत खूबसूरत

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Bahut khub

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Chetna swrnkar

25-Sep-2022 09:55 AM

बहुत सुंदर

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